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Premenstrual syndrome

Premenstrual syndrome in hindi: एक सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

| 14 Oct 2023 | 106819 Views |

Introduction

जब बात हो आपकी स्वास्थ्य और समझदारी से, तो जानकारी अनमोल होती है। प्रागार्तव या पीएमएस, जिसे हिंदी में “premenstrual syndrome” कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिससे कई महिलाएं प्रभावित होती हैं। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं! इस लेख में, हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और उम्मीद है कि आपको इससे फायदा होगा।

प्रागार्तव (पीएमएस) के लक्षण

पीएमएस के सामान्य लक्षण

1.शारीरिक लक्षण:

  • थकावट
  • सिर दर्द
  • पेट में दर्द

2. मनोवैज्ञानिक और व्यवहार संबंधी लक्षण:

  • चिड़चिड़ापन
  • उदासीनता
  • अनिद्रा

मासिक धर्म से पूर्व बेचैनी की समस्या (पीएमडीडी)

यह पीएमएस से अधिक गंभीर और चिंताजनक होता है, और इसे उचित तरीके से पहचानना और समझना महत्वपूर्ण है।

आपको अपने चिकित्सक के पास कब जाना चाहिए?

यदि आपको लगता है कि आपके पीएमएस के लक्षण अधिक गंभीर हो रहे हैं या यदि आपको अन्य संबंधित समस्याएं हो रही हैं, तो जल्दी से अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

प्रागार्तव (पीएमएस) के कारण

हार्मोन में बदलाव

हर महीने महिलाओं के शरीर में हार्मोनिक परिवर्तन होते हैं, जो पीएमएस के लक्षणों को प्रेरित कर सकते हैं।

मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन

सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स पीएमएस के लक्षणों में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

जीवनशैली के कारक

1. वज़न और व्यायाम : अधिक वजन और कम व्यायाम के कारण पीएमएस के लक्षण बढ़ सकते हैं।
2. तनाव : अधिक तनाव पीएमएस के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
3. आहार : अधिक कैफीन और मिठा खाना भी पीएमएस के लकक्षणों को प्रभावित कर सकता है।

प्रागार्तव(पीएमएस) का इलाज

कई बार, पीएमएस के लक्षण जीवनशैली के साधारण परिवर्तनों से ही सुधारे जा सकते हैं।

जीवन शैली में परिवर्तन

1. आहार : संतुलित आहार और कम कैफीन और चीनी सेवन से लक्षणों में सुधार हो सकता है।
2. धूम्रपान : धूम्रपान करना छोड़ना भी फायदेमंद हो सकता है।
3. व्यायाम : नियमित व्यायाम लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

पूरक उपचार

कुछ पूरक, जैसे कि विटामिन बी-6 और मैग्नेशियम, भी लक्षणों में सुधार ला सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक चिकित्सा

संवाद चिकित्सा और अन्य मनसिक स्वास्थ्य उपचार भी फायदेमंद हो सकते हैं।

चिकित्सा उपचार

1. दर्द निवारक दवा : इबुप्रोफेन और अस्पिरिन जैसी दवाएं लक्षणों को कम कर सकती हैं।
2. मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां : ये हार्मोन स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं।
3. एस्ट्रोजन-केवल पैच और प्रत्यारोपण : ये भी लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं।
4. चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआई) : ये मनोवैज्ञानिक लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं।
5. गोनैडोट्रॉफ़िन-रिलीज़िंग हार्मोन (GnRH) एनालॉग्स : ये उन महिलाओं के लिए होते हैं जिन्हें अन्य उपचार में राहत नहीं मिलती।

लेख सम्बंधित जानकारी

ज्यादा जानकारी के लिए, आप [www.indiaivf.in] पर जा सकते हैं। यहां पर आपको इस विषय पर और भी विस्तार से जानकारी मिलेगी।

About The Author
Dr. Richika Sahay

MBBS (Gold Medalist), DNB (Obst & Gyne), MNAMS, MRCOG (London-UK), Fellow IVF, Fellow MAS, Infertility (IVF) Specialist & Gynae Laparoscopic surgeon,[Ex AIIMS & Sir Gangaram Hospital, New Delhi]. Read more about me

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