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Fibroid Meaning in Hindi गर्भाशय में गांठ: कारण, लक्षण और उपचार (बचेदानी में गांठ)

| 13 May 2023 | 4513 Views |

परिचय

फाइब्रॉइड गर्भाशय (fibroid uterus meaning in hindi) की सामान्य समस्या है, जिसे बचेदानी में गांठ (bachedani me ganth) भी कहा जाता है। इस लेख में, हम फाइब्रॉइड के अर्थ (meaning in hindi), कारण, लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान बच्चेदानी में गांठ कैसे होती है? फाइब्रॉइड यूटरस के अर्थ को हिंदी में जानें

फाइब्रॉइड गर्भाशय में उभरने वाले ट्यूमर होते हैं। इनमें कैंसर का जोखिम बहुत कम होता है, लगभग 10,000 में से सिर्फ एक मामले में। ये गांठें आमतौर पर 25-40 वर्ष की आयु के बीच होती हैं। उन महिलाओं में, जिनमें एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, फाइब्रॉइड यूटरस और कैंसर दोनों के जोखिम बढ़ जाते हैं।

फाइब्रॉइड का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन इसे आमतौर पर आनुवंशिक माना जाता है। कहा जाता है कि हर पांच में से एक महिला के गर्भाशय में गांठ के लक्षण दिखाई देते हैं। वजन की बढ़ोतरी या मोटापा से प्रभावित महिलाएं इनकी चपेट में अधिक आती हैं। हार्मोनल परिवर्तनों के कारण भी इनकी संभावना होती है। इनका जोखिम फाइब्रॉइड के आकार और स्थिति पर निर्भर करता है। फाइब्रॉइड को साधार

Read Also: फाइब्रॉइड क्या होते हैं?

फाइब्रॉइड क्या होते हैं? (What are fibroids in Hindi)

फाइब्रॉइड गर्भाशय की दीवार में विकसित होने वाली अत्यधिक सामान्य अच्छी प्रकृति की गांठें होती हैं। इन गांठों का आकार और संख्या स्त्री से स्त्री अलग-अलग हो सकती है। फाइब्रॉइड के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो गर्भाशय की विभिन्न स्थितियों पर निर्भर करते हैं।

फाइब्रॉइड के प्रकार (Types of Fibroid in Hindi)

  1. इंट्राम्यूरल फाइब्रॉइड: गर्भाशय की दीवार में विकसित होते हैं।
  2. सबसेरोसल फाइब्रॉइड: गर्भाशय की बाहरी सतह पर विकसित होते हैं।
  3. सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड: गर्भाशय की अंदरूनी सतह में विकसित होते हैं।
  4. सीरविकल फाइब्रॉइड: गर्भाशय के ग्रीवा भाग में विकसित होते हैं।

फाइब्रॉइड के कारण(Causes of Fibroid in Hindi)

फाइब्रॉइड के विकास के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि:

  1. हार्मोन असंतुलन: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के अतिरिक्त उत्पादन से फाइब्रॉइड विकसित हो सकते हैं।
  2. आनुवंशिकता: फाइब्रॉइड का विकास परिवार में चलने वाली आनुवंशिक प्रवृत्ति से भी संबंधित हो सकता है।
  3. आयु: उम्र के साथ, फाइब्रॉइड की संभावना बढ़ जाती है।
  4. शारीरिक वजन: अत्यधिक वजन वाली महिलाओं में फाइब्रॉइड की संभावना अधिक होती है।
  5. जीवनशैली: धूम्रपान, अत्यधिक शराब सेवन और तनाव युक्त जीवनशैली भी फाइब्रॉइड के विकास में भूमिका निभा सकती हैं।

फाइब्रॉइड के लक्षण (Symptoms of Fibroid in Hindi)

फाइब्रॉइड के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  1. मासिक धर्म के दौरान या बीच-बीच में अधिक रक्तस्राव, थक्के सहित।
  2. नाभि के निचे स्थित पेट में दर्द या कमर के निचले हिस्से में दर्द।
  3. अक्सर पेशाब आने की समस्या।
  4. मासिक धर्म के दौरान दर्द की लहरें।
  5. यौन संबंध स्थापित करते समय दर्द।
  6. मासिक धर्म का सामान्य से लंबा समय तक चलना।
  7. नाभि के निचे पेट में दबाव या वजन महसूस करना।
  8. निजी अंग से रक्तस्राव।
  9. कमजोरी का अनुभव।
  10. पेट में सूजन।
  11. एनीमिया (खून की कमी)।
  12. कब्ज (आंतों में मल का संचय)।
  13. पैरों में दर्द।

फाइब्रॉइड का उपचार (Fibroid Treatment in Hindi)

अगर गर्भाशय फाइब्रॉइड का आकार बड़ा हो चुका है तो डॉक्टर्स इसका इलाज या तो दवाइयां दे कर करते हैं या फिर दूरबीन वाली (Hysteroscopy/Laparoscopy) सर्जरी द्वारा।

फाइब्रॉइड के उपचार के लिए कई विधियाँ उपलब्ध हैं, जैसे कि:

  1. दवाओं का उपयोग: हार्मोन थेरेपी और दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करके फाइब्रॉइड के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
  2. गर्भाशय की रक्त आपूर्ति ब्लॉक करना: इस विधि में, एम्बोलाइज़ेशन के माध्यम से फाइब्रॉइड को पोषण देने वाली रक्त धमनियों को बंद कर दिया जाता है।
  3. फोकस्ड अल्ट्रासाउंड: यह नॉन-सर्जिकल विधि है, जिसमें अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा का उपयोग करके फाइब्रॉइड को नष्ट किया जाता है।
  4. माइओमेक्टोमी: इस सर्जिकल प्रक्रिया में, फाइब्रॉइड को गर्भाशय से दीवार से अलग किया जाता है, जबकि गर्भाशय को बचाया जाता है।
  5. हिस्टेरेक्टोमी: यह एक अंतिम विकल्प है, जिसमें गर्भाशय को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। इसे केवल तब अनुशंसित किया जाता है जब अन्य उपचार विफल रहते हैं।

निष्कर्ष

फाइब्रॉइड, यानि बचेदानी में गांठ, महिलाओं में एक सामान्य समस्या है। इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में सूचना होना बेहद महत्वपूर्ण है। विभिन्न उपचार विधियों के माध्यम से फाइब्रॉइड का उपचार संभव है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इनके विकास की संभावना को कम किया जा सकता है।

About The Author
Dr. Richika Sahay

MBBS (Gold Medalist), DNB (Obst & Gyne), MNAMS, MRCOG (London-UK), Fellow IVF, Fellow MAS, Infertility (IVF) Specialist & Gynae Laparoscopic surgeon,[Ex AIIMS & Sir Gangaram Hospital, New Delhi]. Read more about me

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