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ऐसी काफी सारी महिलाएं हैं जिन्हें प्रेग्नेंट होने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है और इस तरह के ट्रीटमेंट को फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कहा जाता है। इस तरह के इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट तब जरूरी होते हैं जब कपल में से किसी एक को किसी तरह प्रेग्नेंसी सम्बन्धित समस्या होती है या फिर महिला किसी वजह से गर्भधारण नहीं कर पाती। यूनाइटेड स्टेट अमेरिका में 14 से 44 साल की महिलाओं में से करीब 10% को प्रग्नेंट होने में कितने प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो वहीं विश्व स्तर पर यह आंकड़ा 8 से12 प्रतिशत है।
कुछ आंकड़ों के मुताबिक प्रेगनेंसी से संबंधित समस्याओं में पुरुषों से जुड़ी समस्याएं 45 से 50% तक देखी जाती है घबराने की कोई बात नहीं है कि इस तरह की अधिकतर समस्याओं का उपचार मौजूद है और इन उपचारो को ही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कहा जाता है। सामान्य भाषा में फर्टिले ट्रीटमेंट को समझा जाए तो यह वह ट्रीटमेंट होते हैं जो महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए किये जाते है, फिर चाहे वह महिला से जुड़े हुए हो या पुरुष से।
अब क्योंकि हम आपको बता चुके हैं कि फर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्या होता है तो अब आपको फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के प्रोसेस के बारे में भी पता होना चाहिए। दुनिया भर में कई लोगों को कई तरह के फर्टिलिटी इश्यू होते है और उन सभी इश्यूज के लिए समस्या के अनुसार अलग अलग तरह के ट्रीटमेंट किये जाते है। यह फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कई चीजों पर निर्भर करते है जैसे कि आप की उम्र कितनी है, आप कितने समय से इनफर्टाइल है और और कई तरह के अन्य पर्सनल प्रेफरेंसेस आदि।
क्योंकि इनफर्टिलिटी एक प्रकार का कॉन्प्लेक्स डिसऑर्डर होता है तो ऐसे में इसके ट्रीटमेंट में सिग्निफिकेंट फाइनेंसियल, फिजिकल, साइकोलॉजिकल और कई तरह के टाइम कमिटमेंट शामिल होते हैं। अधिकतर मामलों में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में विभिन्न प्रकार की दवाएं शामिल होती है जो हार्मोन और ओव्यूलेशन में मदद करती है। फर्टिलिटी से जुडी दवाए मुख्य रूप से उन महिलाओं के इलाज में उपयोग होती है जो ओवुलेशन डिसऑर्डर के कारन प्रेग्नेंट होने में समस्याओं का सामना करती है।
मल्टीपल के साथ प्रेगनेंसी: फर्टिलिटी से जुड़ी दबाव में जो रिस्क होता है उनमें से एक रिस्की यह है कि इसमें मल्टीपल के साथ प्रेगनेंसी की संभावना अधिक रहती है। ओरल मेडिकेशन में यह संभावना 10% तक तो इंजेक्टेबल्स दबाव में यह संभावना 30% तक रहती है। अर्थात ट्विन या अधिक बच्चो की संभावना बढ़ जाती है।
ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम: यह वह स्थिति जिसमे अंडाशय हार्मोन के अधिक होने पर एक तरह उल्टा रिएक्शन देते हैं, उसे ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम कहा जाता है। एग प्रोडक्शन को स्टिमुलेट करने के लिए जिन महिलाओं को इंजेक्शन वाली हार्मोन मेडिसिन लेनी पड़ती है उनमे ही मुख्य रूप से ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम की समस्या पाई जाती है। इसमें हल्का से मध्यम पेट दर्द, पेट फूलना या कमर का आकार बढ़ जाना, उल्टी, जी मचलना और दस्त जैसे सामान्य लक्षण देकर जाते हैं।
वर्तमान समय में किए जाने वाले दो सामान्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कुछ इस प्रकार है:
इंट्रोटेरिन इनसेमिनेशन : इस प्रक्रिया में हेल्दी स्पर्म को कलेक्ट कर के आप के यूरेटस में इन्सर्ट किया जाता है जब आप अपने ओवुलेशन पीरियड में होते हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन: इस प्रक्रिया में डॉक्टर आपके ओवरीज में से एग्स निकालता है और ओनेक्स को लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज करके आपके गर्भाशय में डाल देता है।
पुरुषों में देखे जाने वाले इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं कई तरह की होती है और उनके लिए कई तरह के उपचार मौजूद है। सामान्य तौर पर पुरुषों में इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं स्पर्म के इफेक्टिव प्रोडक्शन, स्पर्म के शेप, स्पर्म नंबर और स्पर्म के मूवमेंट आदि से संबंधित होती है। इनसे जुड़े इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट कुछ इस प्रकार है:
सर्जरी: वेरीकोसिल को मुख्य रूप से सर्जरी के द्वारा ठीक किया जाता है। जिन मामलों में इजेकुलेट में कोई इस पर में मौजूद नहीं होता उनमे स्पर्म प्रत्यक्ष तौर पर टेक्टिकल्स और एपिडेडीमिस से कलेक्ट किया जाता है।
ट्रीटमेंट इंफेक्शन: रीप्रोडक्टिव ट्रैक्ट से जुड़े इंफेक्शन को एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से सही किया जा सकता है लेकिन यह हर बार फर्टिलिटी को रिस्टोर करने की क्षमता नहीं रखते।
सेक्सुअल इंटरकोर्स प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट: इरेक्टिकल डिस्फंक्शन और प्रीमेच्योर इजेकुलेशन से जुड़ी समस्याओं में मेडिकेशन और काउंसलिंग काफी हद तक कई मामले में मदद कर सकती है जिससे कि फर्टिलिटी इंप्रूव हो सके।
हार्मोन ट्रीटमेंट और मेडिकेशन: हार्मोन के ट्रीटमेंट के लिए कई बार डॉक्टरों के द्वारा कई तरह की मेडिकेशन या फिर ट्रीटमेंट की सलाह दी जाती है जिनसे फर्टिलिटी में इंप्रूवमेंट किया जा सके और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सके।
असिस्टेंट रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी: इस तरह की ट्रीटमेंट प्रक्रिया में सामान्य इजेकुलेशन या फिर सर्जिकल एक्सट्रैक्शन जैसे तरीकों के द्वारा स्पर्म को कलेक्ट किया जाता है और उसे फिर फीमेल जेनेटल ट्रेक्ट में इन्वेस्ट किया जाता है।
महिलाओं के लिए होने वाले इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट
महिलाओं में होने वाली फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रीटमेंट का उपयोग किया जाता है। कई मामलों में डॉक्टर सर्जरी सजेस्ट करते हैं लेकिन कई मामलों में डॉक्टर के परामर्श से मेडिकेशन और काउंसलिंग आदि के द्वारा भी ट्रीटमेंट किया जाता है। सर्जरी के द्वारा इनफर्टिलिटी की समस्या का निम्न प्रकार से इलाज किया जाता है:
इसके अलावा रीप्रोडक्टिव असिस्टेंट में इंट्रोटेरिन इनसेमिनेशन और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी भी शामिल हो सकती है।
आईवीएफ एक प्रकार की ऐसी असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी है जिसमे स्पर्म को निकालकर उसे लेब में पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है और उसके बाद गर्भाशय में प्रवेश करवाया जाता है।
फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की पोस्ट की बात की जाए तो यह एक मुश्किल ट्रीटमेंट होता है जिसमे अच्छा खासा समय भी लग जाता है। जिस तरह का ट्रीटमेंट किया जाता है उसके अनुसार ही उसके पैसे भी ले जाते हैं। वर्तमान समय में देश में करीब 2.5 लाख से लेकर 4 लाख रूपये तक में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट किया जाता है। आईवीएफ के लिए देश में मिनिमम कोस्ट 70 हजार रूपये है।
सामान्य तौर पर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट थोड़ा महंगा जरूर है लेकिन यह वाकई में मेडिकल साइंस की एक अचीवमेंट है जिसके लिए हमें धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि पहले जहां विभिन्न कारणों की वजह से काफी सारे कपल्स को बच्चे का सुख नहीं मिल पता था तो वहीं अब वर्तमान समय में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की वजह से इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करके पेरेंट बनना संभव हो चुका है।
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