Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
IVF-Baby

क्या आईवीएफ के जरिए पैदा हुए बच्चे नॉर्मल होते हैं?

| 05 Mar 2022 | 2966 Views |

आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेकर बहुत से लोगों के मन में बहुत सारी आशंकाएं होती हैं अर्थात मिथक होते हैं कि क्या आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा जो बच्चे जन्म लेते हैं क्या वह नॉर्मल डिलीवरी वालों बच्चों की तरह ही होते हैं या फिर उनसे अलग होते हैं। इसके अलावा भी आईवीएफ ट्रीटमेंट को लेकर लोगों में काफी मिथक है जो आज हम अपने इस ब्लॉग के माध्यम से बताएंगे और उन लोगों के मन की शंकाओं को भी दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे।

आईवीएफ ऐसी प्रक्रिया है जिसके उपचार के द्वारा बांझपन को दूर किया जा सकता है अर्थात जो महिलाएं नेचुरल रूप से बच्चों को जन्म देने में असमर्थ होती हैं। उन्हें इस आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा संतान सुख की प्राप्ति कराई जाती है। आईवीएफ ट्रीटमेंट को बांझपन दूर करने का एक वरदान जैसा माना जाता है। क्योंकि आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा निःसंतान दंपतियों के घर में किलकारियां गूंज उठी हैं तथा उनके भी सूनेआंगन में बच्चों के हंसने तथा रोने की आवाजें सुनाई देने लगती हैं।
हाल ही में हुए अंतरराष्ट्रीय सर्वे के आंकड़े बताते हैं जो बच्चे आईवीएफ टेक्नोलॉजी से पैदा हुए हैं वह प्राकृतिक गर्भधारण के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चों के समान ही होते हैं। यह बच्चे पूरी तरह से शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से अन्य बच्चों की तरह ही स्वस्थ एवं हेल्दी होते हैं।
आइए एक नजर डालते हैं कुछ ऐसे सवालों पर जो अक्सर लोगों के मन में आते हैं और एक मिथक के रूप में उनके दिमाग में चलते रहते हैं।

1. पहला सवाल उठता है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा जो बेबी जन्म लेता है क्या वह नॉर्मल होता है?

Table of Contents

इस सवाल को लेकर भारत तथा अन्य देशों में कई तरह के मिथक प्रचलित हैं। यह मिथक इसलिए प्रचलित हैं क्योंकि आईवीएफ ट्रीटमेंट एक सामान्य प्रक्रिया नहीं होती उसमें एग को लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद 2 से लेकर 5 दिनों के बाद उसको गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
अब हम आपको स्पष्ट करते चलते हैं कि भ्रूण को भले ही लैब में तैयार किया जाता है, परंतु इस भ्रूण का विकास मां के गर्भ में ही पूरी तरह से प्राकृतिक रुप से होता है और इसमें नॉर्मल प्रगनेंसी के द्वारा ही बच्चे का जन्म होता है। आईवीएफ में बच्चे का जन्म पूरी तरीके से नेचुरल ही होता है इसलिए अपने मन से यह गलत धारणा निकाल दे।

2. दूसरा सवाल उठता है कि आईवीएफ प्रेगनेंसी में सिजेरियन के द्वारा ही बच्चे का जन्म होता है।

आईवीएफ ट्रीटमेंट में केवल भ्रूण को ही बाहर लैब में तैयार किया जाता है उसका विकास ठीक उसी प्रकार से प्राकृतिक रूप से मां के गर्भाशय में ही होता है जैसा कि एक सामान्य प्रग्नैंसी में मां के गर्भ में भ्रूण का विकास होता है। इसलिए इसमें से सिजेरियन की इतनी अधिक संभावना नहीं होती है जितनी कि नॉर्मल प्रेगनेंसी में होती है।

3. एक और सवाल लेते हैं जो लोगों के मन में अक्सर उठता है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने से अबॉर्शन की संभावना अत्यधिक हो जाती है।

सामान्य प्रेगनेंसी में गर्भपात की जितनी संभावना होती है ठीक उतनी ही आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाओं के साथ भी होती है। क्योंकि जो महिलाएं प्राकृतिक रुप से गर्भ धारण करती हैं उन्हें 10% गर्भपात की संभावना होती है और उसी प्रकार ही जो महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट के माध्यम से गर्भ धारण करती हैं उन्हें भी 10% ही अबॉर्शन की संभावना होती है इसलिए अपने मन में यह धारणा बिल्कुल भी ना पाले की आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने के बाद गर्भपात की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

4. इन सवालों के साथ-साथ एक और सवाल उठता है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट केवल युवा कपल्स के लिए ही कारगर होता है या फिर किसी उम्र के दंपत्ति इसको करवा सकते हैं।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, इस आईवीएफ ट्रीटमेंट को किसी भी उम्र के दंपत्ति ले सकते हैं। आइवीएफ टेक्नोलॉजी के माध्यम से अधिक उम्र की महिलाएं और यहां तक की मोनोपॉज के बाद भी गर्भधारण कर सकती हैं परंतु मोनोपॉज वाली महिलाओं को इसके लिए डोनर एग की आवश्यकता पड़ती है।

5. एक मिथक और प्रचलन में रहता है जो यह है कि आईवीएफ के बाद महिला को 9 महीने बेड रेस्ट करना पड़ता है।

हम आपको बताते चलते हैं कि आईवीएफ की प्रक्रिया केवल गर्भ धारण करने के लिए होती है । इसके बाद शेष आगे की प्रक्रिया पूरी तरह से नेचुरल ही होती है । जैसे डॉक्टर सामान्य प्रेगनेंसी में एक महिला को जो भी नियम और शर्तें बताते हैं ठीक उसी प्रकार आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा गर्भधारण करने वाली महिला को उन्हें शर्तों और नियमों का पालन करना पड़ता है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है की जो महिलाएं आईवीएफ ट्रीटमेंट के द्वारा गर्भ धारण करती हैं उनको 9 महीने तक बेड रेस्ट करना है । यदि किसी कारण बस डॉक्टर आपको परामर्श करते हैं कि कुछ समय आपको बेड रेस्ट करना है तो आप जरूर करें। यह सलाह डॉक्टर सामान्य गर्भधारण वाली महिला को भी देते हैं।

6. एक अंतिम सवाल और लेते हैं जो लोगों के मन में अक्सर उठता है कि आईवीएफ करवाने के बाद महिलाओं के अंडे खत्म हो जाते हैं और ऐसी महिलाओं को मोनोपॉज बहुत जल्दी आता है।

मेडिकल साइंस के अनुसार प्रत्येक महीने हर महिला की ओवरी से 25 से 30 अंडे सामान्य रूप से निकलते हैं। इसमें से केवल एक ही अंडा बड़ा होता है बाकी सारे अंडे अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। यह बड़ा अंडा यदि पर फर्टाइल नहीं होता है तो खत्म हो जाता है। आईवीएफ की चिकित्सा में सभी अंडे निकाल दिए जाते हैं क्योंकि यह वैसे भी खत्म होने हैं होते हैं इसलिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आईवीएफ के लिए अंडे निकाल लिए गए हैं तो अगले महीने नहीं बनेंगे यह अंडे अगले महीने फिर उसी नेचुरल तरीके से पुनः बनेंगे जैसे कि पहले बनते थे और मोनोपॉज वाली धारणा पूर्ण रूप से गलत है।

यदि आप या फिर आपके करीबी रिस्तेदार, दोस्त कोई भी इस निःसंतानता (बांझपन) जैसी समस्या से जूझ रहा है और उनके मन में भी संतान सुख की चाहत है तो बिना किसी परेशानी के आप हमारे इंडिया आइवीएफ के एक्सपर्टों से आप अपनी समस्या बताकर उनका निवारण करवा सकते है।

About The Author
Dr. Richika Sahay

MBBS (Gold Medalist), DNB (Obst & Gyne), MNAMS, MRCOG (London-UK), Fellow IVF, Fellow MAS, Infertility (IVF) Specialist & Gynae Laparoscopic surgeon,[Ex AIIMS & Sir Gangaram Hospital, New Delhi]. Read more about me

We are one of the Best IVF Clinic in India!

At India IVF Clinics we provide the most comprehensive range of services to cover all the requirements at a Fertility clinic including in-house lab, consultations & treatments.

    As per ICMR and PCPNDT Guidelines No Pre Natal Sex Determination is done at India IVF Clinic    As per ICMR and PCPNDT Guidelines Genetic Counselling can only be done in person
    Shop
    Search
    Account
    Cart